Tuesday, March 31, 2009
Varun Ghandi speech has created a different atmosphere in election season. He has not say anything wrong in his speech but Uttar Pradesh Government has fixed varun as an criminal ant put NSA against him. It is a violation of human right.Many other political stalwart has also not in a favour of NSA against Varun Ghandi.Even Bhartiya Janta Party is from from Varun and BJP decided that Varun will not be star campaigner for his party. Disgusting for BJP because Varun is on to play the Hindu card and he has created a atmosphere in favour of Bhartiya Janta Party and there are the bright chances for BJP to gain the seats in Uttar Pradesh.Although Advani will not be a lucky one for the Prime Ministarial post because NDA will not be come in power.BJP campaign agenda is still not clear.BJP not accepting Varun,Menka and Modi then who will be the star campaigner.Is film star is the celebrity campaigner?
If BJP wants to come in power they have to be clear about the Varun Ghandi role he is the only real Ghandi clan member.
If BJP wants to come in power they have to be clear about the Varun Ghandi role he is the only real Ghandi clan member.
Wednesday, July 18, 2007
Saturday, June 2, 2007
Friday, April 20, 2007
होली आई है
सब बेटे बहुओं की टोली आई है
कई बरस में ऐसी होली आई है।
हमने तो हिल-मिलकर रहना चाहा था
क्या कीजे उस पार से गोली आई है।
शहरी आपाधापी में अकसर हमको
याद गाँव की हँसी ठिठोली आई है।
जब से मेरे जीवन में तुम आए हो
खुशियों से भर मेरी डोली आई है।
सुन पोतों की बातें सोचे दादी माँ
नए दौरे में कैसी झोली आई है।
कल से मेरे इम्तहान होने को है
सगुन भरी वो माँ की रोली आई है।
ममता किरण
कई बरस में ऐसी होली आई है।
हमने तो हिल-मिलकर रहना चाहा था
क्या कीजे उस पार से गोली आई है।
शहरी आपाधापी में अकसर हमको
याद गाँव की हँसी ठिठोली आई है।
जब से मेरे जीवन में तुम आए हो
खुशियों से भर मेरी डोली आई है।
सुन पोतों की बातें सोचे दादी माँ
नए दौरे में कैसी झोली आई है।
कल से मेरे इम्तहान होने को है
सगुन भरी वो माँ की रोली आई है।
ममता किरण
हवा डोली है
हवा डोली है मन भीगा हुआ है,
मेरी साँसों में तू महका हुआ है।
उसूलों में वो यों जकड़ा हुआ है,
कि अपने आप में सिमटा हुआ है।
नहीं जो टिक सका आँधी के आगे,
वो पत्ता शाख से टूटा हुआ है।
लिखा फिर रख दिया, जिस ख़त को हमने,
अधूरा ख़त यों ही छूटा हुआ है।
बिगाड़ा था जो तुमने रेत का घर,
घरौंदा आज तक बिखरा हुआ है।
भुलाना चाहती थी जिसको दिल से,
वो दिल में आज तक ठहरा हुआ है।
सजाए ख़्वाब जो पलकों पे हमने,
वो ख़्वाबों का महल टूटा हुआ है।
अदा से अपनी वो सबको रिझाए,
खिलौना एक घर आया हुआ है।
समूची उम्र कर दी नाम जिसके,
वही अब मुझसे बेगाना हुआ है।
ममता किरण
मेरी साँसों में तू महका हुआ है।
उसूलों में वो यों जकड़ा हुआ है,
कि अपने आप में सिमटा हुआ है।
नहीं जो टिक सका आँधी के आगे,
वो पत्ता शाख से टूटा हुआ है।
लिखा फिर रख दिया, जिस ख़त को हमने,
अधूरा ख़त यों ही छूटा हुआ है।
बिगाड़ा था जो तुमने रेत का घर,
घरौंदा आज तक बिखरा हुआ है।
भुलाना चाहती थी जिसको दिल से,
वो दिल में आज तक ठहरा हुआ है।
सजाए ख़्वाब जो पलकों पे हमने,
वो ख़्वाबों का महल टूटा हुआ है।
अदा से अपनी वो सबको रिझाए,
खिलौना एक घर आया हुआ है।
समूची उम्र कर दी नाम जिसके,
वही अब मुझसे बेगाना हुआ है।
ममता किरण
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