सब बेटे बहुओं की टोली आई है
कई बरस में ऐसी होली आई है।
हमने तो हिल-मिलकर रहना चाहा था
क्या कीजे उस पार से गोली आई है।
शहरी आपाधापी में अकसर हमको
याद गाँव की हँसी ठिठोली आई है।
जब से मेरे जीवन में तुम आए हो
खुशियों से भर मेरी डोली आई है।
सुन पोतों की बातें सोचे दादी माँ
नए दौरे में कैसी झोली आई है।
कल से मेरे इम्तहान होने को है
सगुन भरी वो माँ की रोली आई है।
ममता किरण
Friday, April 20, 2007
हवा डोली है
हवा डोली है मन भीगा हुआ है,
मेरी साँसों में तू महका हुआ है।
उसूलों में वो यों जकड़ा हुआ है,
कि अपने आप में सिमटा हुआ है।
नहीं जो टिक सका आँधी के आगे,
वो पत्ता शाख से टूटा हुआ है।
लिखा फिर रख दिया, जिस ख़त को हमने,
अधूरा ख़त यों ही छूटा हुआ है।
बिगाड़ा था जो तुमने रेत का घर,
घरौंदा आज तक बिखरा हुआ है।
भुलाना चाहती थी जिसको दिल से,
वो दिल में आज तक ठहरा हुआ है।
सजाए ख़्वाब जो पलकों पे हमने,
वो ख़्वाबों का महल टूटा हुआ है।
अदा से अपनी वो सबको रिझाए,
खिलौना एक घर आया हुआ है।
समूची उम्र कर दी नाम जिसके,
वही अब मुझसे बेगाना हुआ है।
ममता किरण
मेरी साँसों में तू महका हुआ है।
उसूलों में वो यों जकड़ा हुआ है,
कि अपने आप में सिमटा हुआ है।
नहीं जो टिक सका आँधी के आगे,
वो पत्ता शाख से टूटा हुआ है।
लिखा फिर रख दिया, जिस ख़त को हमने,
अधूरा ख़त यों ही छूटा हुआ है।
बिगाड़ा था जो तुमने रेत का घर,
घरौंदा आज तक बिखरा हुआ है।
भुलाना चाहती थी जिसको दिल से,
वो दिल में आज तक ठहरा हुआ है।
सजाए ख़्वाब जो पलकों पे हमने,
वो ख़्वाबों का महल टूटा हुआ है।
अदा से अपनी वो सबको रिझाए,
खिलौना एक घर आया हुआ है।
समूची उम्र कर दी नाम जिसके,
वही अब मुझसे बेगाना हुआ है।
ममता किरण
खुदकुशी करना
खुदकुशी करना बहुत आसान है,
जी के दिखला, तब कहूँ इनसान है।
सारी दुनिया चाहे जो कहती रहे,
मैं जिसे पूजूँ वही भगवान है।
चंद नियमों में न यो बँध पाएगी,
ज़िंदगी की हर डगर अनजान है।
टिक नहीं पाएगा कोई सच यहाँ,
झूठ ने जारी किया फ़रमान है।
भीगा मौसम कह गया ये कान में,
क्यों गली, दिल की तेरे वीरान है।
ममता किरण
जी के दिखला, तब कहूँ इनसान है।
सारी दुनिया चाहे जो कहती रहे,
मैं जिसे पूजूँ वही भगवान है।
चंद नियमों में न यो बँध पाएगी,
ज़िंदगी की हर डगर अनजान है।
टिक नहीं पाएगा कोई सच यहाँ,
झूठ ने जारी किया फ़रमान है।
भीगा मौसम कह गया ये कान में,
क्यों गली, दिल की तेरे वीरान है।
ममता किरण
रात जाएगी सुबह आएगी
रात जाएगी सुबह आएगी नई फिर से
दुख से मत डरना कि आएगी हर खुशी फिर से।
बहक गए हैं कि जो लोग अपने रस्तों से
बना दे काश कोई उनको आदमी फिर से।
एक अरसे से जो रूठी थी ये किस्मत मुझसे
आज लौटा के गई वो मेरी हँसी फिर से।
पत्तियाँ झर गई पेड़ों पे उदासी छाई
कोई बतलाए ये कैसे हवा चली फिर से।
सच कहा है ये किसी ने कि गोल है दुनिया
ये न सोचा था कि मिल जाएँगे कभी फिर से।
याद आए वो बहुत आज याद आए वो
आज महफ़िल में खली उनकी ही कमी फिर से।
सूनी दीवारों पे टँगते गए जो चित्र कई
ले के आए मेरी आँखों में इक नमी फिर से।
ममता किरण
दुख से मत डरना कि आएगी हर खुशी फिर से।
बहक गए हैं कि जो लोग अपने रस्तों से
बना दे काश कोई उनको आदमी फिर से।
एक अरसे से जो रूठी थी ये किस्मत मुझसे
आज लौटा के गई वो मेरी हँसी फिर से।
पत्तियाँ झर गई पेड़ों पे उदासी छाई
कोई बतलाए ये कैसे हवा चली फिर से।
सच कहा है ये किसी ने कि गोल है दुनिया
ये न सोचा था कि मिल जाएँगे कभी फिर से।
याद आए वो बहुत आज याद आए वो
आज महफ़िल में खली उनकी ही कमी फिर से।
सूनी दीवारों पे टँगते गए जो चित्र कई
ले के आए मेरी आँखों में इक नमी फिर से।
ममता किरण
आज मंज़र थे
आज मंज़र थे कुछ पुराने से
याद वो आ गए बहाने से।
जो खुदा से मिला कुबूल रहा
कोई शिकवा नहीं ज़माने से।
बारिशों की सुहानी रातों में
गीत गाए वो कुछ पुराने से।
इतनी गहरी है जेहन में यादें
मिट न पाएगी वो मिटाने से।
बीत पतझर का अब गया मौसम
अब निकल आओ उस वीराने से।
मैं नहीं ख़्वाब हूँ हक़ीक़त हूँ
ये बता दो मेरे दीवाने से।
चाहे जितना वो रूठ ले मुझसे
मान ही जाएँगे मनाने से।
घर में आएगा जब नया बच्चा,
घर हँसेगा इसी बहाने से।
रंग तुझपे चढ़ ही आया है
फ़ायदा क्या हिना रचाने से।
ममता किरण
याद वो आ गए बहाने से।
जो खुदा से मिला कुबूल रहा
कोई शिकवा नहीं ज़माने से।
बारिशों की सुहानी रातों में
गीत गाए वो कुछ पुराने से।
इतनी गहरी है जेहन में यादें
मिट न पाएगी वो मिटाने से।
बीत पतझर का अब गया मौसम
अब निकल आओ उस वीराने से।
मैं नहीं ख़्वाब हूँ हक़ीक़त हूँ
ये बता दो मेरे दीवाने से।
चाहे जितना वो रूठ ले मुझसे
मान ही जाएँगे मनाने से।
घर में आएगा जब नया बच्चा,
घर हँसेगा इसी बहाने से।
रंग तुझपे चढ़ ही आया है
फ़ायदा क्या हिना रचाने से।
ममता किरण
वही सबको नचाता है
कोई आँसू बहाता है, कोई खुशियाँ मनाता है
ये सारा खेल उसका है, वही सब को नाचता है।
बहुत से ख़्वाब लेकर के, वो आया इस शहर में था
मगर दो जून की रोटी, बमुश्किल ही जुटाता है।
घड़ी संकट की हो या फिर कोई मुश्किल बला भी
होये मन भी खूब है, रह रह के, उम्मीदें बँधाता है।
मेरी दुनिया में है कुछ इस तरह से उसका आना भी
घटा सावन की या खुशबू का झोंका जैसे आता है।
बहे कोई हवा पर उसने जो सीखा बुज़ुर्गों से
उन्हीं रस्मों रिवाजों, को अभी तक वो निभाता है।
किसी को ताज मिलता है, किसी को मौत मिलती है
ये देखें, प्यार में, मेरा मुकद्दर क्या दिखाता है।
– ममता किरण
ये सारा खेल उसका है, वही सब को नाचता है।
बहुत से ख़्वाब लेकर के, वो आया इस शहर में था
मगर दो जून की रोटी, बमुश्किल ही जुटाता है।
घड़ी संकट की हो या फिर कोई मुश्किल बला भी
होये मन भी खूब है, रह रह के, उम्मीदें बँधाता है।
मेरी दुनिया में है कुछ इस तरह से उसका आना भी
घटा सावन की या खुशबू का झोंका जैसे आता है।
बहे कोई हवा पर उसने जो सीखा बुज़ुर्गों से
उन्हीं रस्मों रिवाजों, को अभी तक वो निभाता है।
किसी को ताज मिलता है, किसी को मौत मिलती है
ये देखें, प्यार में, मेरा मुकद्दर क्या दिखाता है।
– ममता किरण
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